सावन में मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व
वैदिक शास्त्रो के अनुसार पार्थिव शिवलिंग वह शिवलिंग है जो मिट्टी, चंदन, गोबर, या अन्य प्राकृतिक सामग्री से बनाया जाता है। यह पूजा भगवान शिव के साथ सीधा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करती है और भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि, और कर्मिक शुद्धि प्रदान करती है।
शिव पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
पार्थिव शिवलिंग क्या होता है?
पार्थिव शिवलिंग वह होता है जिसे शुद्ध मिट्टी (काली मिट्टी, गोमय युक्त मिट्टी, या गंगा घाट की मिट्टी) से स्वयं या किसी योग्य ब्राह्मण द्वारा बनाया जाता है। इसे विशेष मंत्रों द्वारा स्थापित किया जाता है और पूजन के पश्चात इसका विसर्जन पवित्र नदी या बहते जल में किया जाता है। उज्जैन में यह पूजा कराने के लिए विश्वसनीय पंडित अतुल अग्निहोत्री जी से संपर्क करें और अपने जीवन को खुशहाल बनाए।

उज्जैन में मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग का महत्व
पार्थिव शिवलिंग ‘पृथ्वी’ (पार्थिव) से बना होता है, जो मिट्टी, चंदन, गोबर, भस्म, या हल्दी जैसी प्राकृतिक सामग्री से निर्मित होता है। सावन मास में इसकी पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि:
- मिट्टी पृथ्वी का प्रतीक है और शुद्धता का आधार है, जो पूजा को आध्यात्मिक रूप से प्रभावी बनाती है। नदी या तालाब की शुद्ध मिट्टी का उपयोग करें। प्रदूषित मिट्टी से बचें।
- शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव को मिट्टी से बने शिवलिंग अत्यंत प्रिय हैं, क्योंकि यह उनकी सादगी और प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाता है। पूरे सावन में रोज एक शिवलिंग बनाकर पूजा करें, विशेष रूप से सोमवार को।
- यह पूजा कालसर्प दोष, पितृ दोष, और पिछले जन्मों के कर्मों को शांत करती है। तथा जीवन में चल रही बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए पार्थिव शिवलिंग की पूजा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।
- सावन में भगवान शिव की कृपा अपने चरम पर होती है, और इस दौरान पार्थिव शिवलिंग की पूजा कई गुना फलदायी होती है। इस महीने की हर तिथि, विशेषकर सोमवार, शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
- इसे घर पर न्यूनतम सामग्री के साथ किया जा सकता है, जिससे सभी वर्गों के लोग इसे कर सकते हैं।
- मिट्टी के शिवलिंग सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, क्योंकि इन्हें पूजा के बाद नदी या पेड़ के नीचे विसर्जित किया जा सकता है।
सावन में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व क्या है?
सावन मास भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दौरान मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि:
- शिव की कृपा: सावन में भगवान शिव भक्तों की पुकार जल्दी सुनते हैं, और पार्थिव शिवलिंग की पूजा से उनकी कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
- कर्मिक दोष निवारण: यह पूजा कालसर्प दोष, पितृ दोष, और अन्य ज्योतिषीय दोषों को शांत करती है, जो जीवन में बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।
- मानसिक शांति: मिट्टी से शिवलिंग बनाना और उसकी पूजा करना मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है।
- विवाह और सौभाग्य: अविवाहित लोगों के लिए विवाह में बाधाएँ दूर होती हैं, और विवाहित लोगों को सौभाग्य प्राप्त होता है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि: यह पूजा स्वास्थ्य समस्याओं को कम करती है और आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है।
- नाग पंचमी का महत्व: सावन में नाग पंचमी (8 अगस्त 2025) पर पार्थिव शिवलिंग के साथ नाग देवता की पूजा सर्प दोष और कालसर्प दोष को शांत करती है।
पार्थिव शिवलिंग की पूजा विधि
पार्थिव शिवलिंग की पूजा कराने के लिए पंडित जी निम्नलिखित चरणों को शामिल करके विधिवत रूप से पूजा सम्पन्न कराते है:
- शुद्धिकरण: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- स्थापना: पीतल की थाली में शिवलिंग स्थापित करें और गंगाजल से अभिषेक करें।
- अभिषेक: पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद जल, दूध, दही और शहद चढ़ाएं।
- श्रृंगार: चंदन, रोली, फूल, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। यज्ञोपवीत (सफेद धागा) लपेटें।
- मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र भी पढ़ें।
- आरती एवं प्रसाद: दीपक जलाकर आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
पार्थिव शिवलिंग पूजा से मिलने वाले लाभ
- घर में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि
- शत्रुओं पर विजय
- स्वास्थ्य संबंधी कष्टों का निवारण
- अकाल मृत्यु से रक्षा
- आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति
पार्थिव शिवलिंग पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2025
सावन 2025 में पार्थिव शिवलिंग पूजा के लिए शुभ तिथियाँ और समय:
नाग पंचमी: 8 अगस्त 2025, सर्प दोष और कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष, श्रावण सोमवार: 28 जुलाई, 4 अगस्त, 11 अगस्त, 18 अगस्त 2025, अमावस्या और पूर्णिमा: 7 अगस्त (अमावस्या), 22 जुलाई (पूर्णिमा), प्रदोष व्रत: 24 जुलाई, 6 अगस्त, 20 अगस्त 2025।
उज्जैन में पार्थिव शिवलिंग पूजा खर्च कितना है?
उज्जैन में सावन के महीने में भगवान शिव का पूजन बहुत प्रभावी और शक्तिशाली माना जाता है। मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग का महत्व ओर भी अधिक होता है इसका खर्च पंडित जी पर निर्भर करता है। पूजा खर्च ₹3,100 तक हो सकता है। यह एक अनुमानित खर्च है सटीक जानकारी के लिए पंडित जी से संपर्क करे।
उज्जैन में पार्थिव शिवलिंग पूजा बुकिंग कैसे करें?
यदि आप उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर या अन्य शिव मंदिरों में पार्थिव शिवलिंग पूजा करना चाहते हैं, तो बुकिंग के लिए उज्जैन के योग्य और अनुभवी पंडित अतुल अग्निहोत्री जी से नीचे दिये गए नंबर पर संपर्क करें।