सावन में कालसर्प दोष पूजा

जानिए सावन में कालसर्प पूजा क्यों है जरूरी?

सावन में कालसर्प पूजा के कई लाभ हैं, जो इसकी आध्यात्मिक शक्ति के कारण और बढ़ जाते हैं। यह पूजा राहु और केतु के दुष्प्रभावों को शांत करती है, जिससे विवाह में बाधाएँ दूर होती हैं और वैवाहिक जीवन में शांति बढ़ती है। करियर और व्यवसाय में यह रुकावटों को हटाकर उन्नति और स्थिरता लाती है।

सावन में कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में कराने से इस पूजा का प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि इस मास में भगवान शिव की कृपा और आध्यात्मिक ऊर्जा उच्च स्थान पर होती है।

सावन में उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा महत्व

सावन मास (श्रावण) हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीना है। यह मास जुलाई-अगस्त में आता है, और 2025 में यह 22 जुलाई से 19 अगस्त तक रहेगा। सावन में शिव पूजा, व्रत, और अनुष्ठानों का विशेष महत्व है, क्योंकि इस समय भगवान शिव की कृपा अधिक प्राप्त होती है।

सावन के सोमवार, जिन्हें श्रावण सोमवार कहा जाता है, विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इस दौरान उज्जैन के मंदिरों, विशेष रूप से महाकालेश्वर मंदिर, में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कालसर्प दोष पूजा सावन में करना विशेष रूप से प्रभावी है, क्योंकि भगवान शिव राहु और केतु के दुष्प्रभावों को शांत करने में सहायक हैं। शिप्रा नदी में स्नान और वैदिक अनुष्ठान इस पूजा की शक्ति को कई गुना बढ़ा देते हैं।

सावन में कालसर्प पूजा के लिए सबसे शुभ दिन नाग पंचमी का होता है, क्योंकि इस दिन कालसर्प पूजा से दोष शांति के लिए नाग देवता की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नाग पंचमी का पर्व श्रद्धा, विश्वास और प्रकृति-पूजन का अद्भुत संगम है। यह न केवल भगवान शिव की कृपा पाने का श्रेष्ठ समय है, बल्कि जीवन में आ रही अदृश्य बाधाओं, ग्रहदोष और मानसिक अशांति से मुक्ति पाने का भी सशक्त माध्यम है।

नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष पूजा का महत्व

नाग पंचमी (8 अगस्त 2025) पर नाग देवता की पूजा से कालसर्प दोष, सर्प शाप, और कर्मिक दोषों से मुक्ति मिलती है। उज्जैन में यह पूजा विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यहाँ के मंदिरों और शिप्रा नदी की पवित्रता अनुष्ठानों को शक्तिशाली बनाती है।

सर्पराज तक्षक ने भगवान शिव की तपस्या कर अमरत्व का वरदान प्राप्त किया उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर में उनका वास है। मान्यता है कि नाग पंचमी पर तक्षक स्वयं दर्शन देते हैं। यह मंदिर साल में केवल एक बार नाग पंचमी (8 अगस्त 2025) को 24 घंटे के लिए खुलता है, जो इसे अत्यंत दुर्लभ बनाता है।

सावन मास (22 जुलाई से 19 अगस्त 2025) भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र समय है। इस दौरान उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा का विशेष महत्व है। नाग पंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन और अन्य मंदिरों में पूजा करने से कालसर्प दोष, पितृ दोष, और सर्प शाप से मुक्ति मिलती है। यह पूजा सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति प्रदान करती है।

कालसर्प दोष पूजा के लाभ

सावन में उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा और नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन से कई लाभ मिल सकते हैं:

  • विवाह में बाधा निवारण: रिश्तों में रुकावटें और देरी समाप्त होती है।
  • आर्थिक समृद्धि: कर्ज से मुक्ति, व्यापार में लाभ, और वित्तीय स्थिरता।
  • स्वास्थ्य सुधार: मानसिक तनाव, चोट, और पुरानी बीमारियों में राहत।
  • पारिवारिक सौहार्द: परिवार में शांति और रिश्तों में सुधार।
  • सर्प भय से मुक्ति: सर्पों के सपने और सर्प दंश का डर समाप्त।
  • आध्यात्मिक उन्नति: कर्मिक दोषों की शुद्धि और भगवान शिव की कृपा।

उज्जैन में कालसर्प पूजा की लागत

कालसर्प दोष पूजा की लागत पूजा के प्रकार, पंडितों की संख्या, और सामग्री पर निर्भर करती है:

  • सामान्य पूजा: ₹2,100–₹5,100 (1 पंडित, आवश्यक अनुष्ठान)।
  • विशेष पूजा: ₹5,100–₹8,100 (2 पंडित, अतिरिक्त मंत्र जाप और हवन)।

सावन में कालसर्प पूजा के लिए शुभ मुहूर्त (2025)

सावन 2025 में कालसर्प दोष पूजा के लिए शुभ तिथियाँ और समय:

  • नाग पंचमी: 8 अगस्त 2025, नागचंद्रेश्वर मंदिर दर्शन और पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ।
  • श्रावण सोमवार: 28 जुलाई, 4 अगस्त, 11 अगस्त, 18 अगस्त 2025।
  • अमावस्या और पूर्णिमा: 7 अगस्त (अमावस्या), 22 जुलाई (पूर्णिमा)।
  • वैयक्तिक मुहूर्त: कुंडली के आधार पर पंडित से मुहूर्त लें।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा बुकिंग कैसे करें?

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा की बुकिंग आसान और सुविधाजनक है। सावन के पवित्र महीने में विश्वसनीय पंडितों और नीचे दिये गए नंबर के माध्यम से पूजा की बुकिंग करें, और जीवन की बाधाओं को दूर करें।

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