कालसर्प दोष पूजा-विधि

कालसर्प दोष पूजा-विधि: जाने उज्जैन में कैसे करे कालसर्प पूजा?

कालसर्प दोष एक गंभीर ज्योतिषीय योग है जो राहु-केतु की अशुभ स्थिति के कारण बनता है। उज्जैन में दोष की पूजा कराने से राहु-केतु के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है। कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में कराने के लिए पूजा-विधि की पूरी जानकारी होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पूजा की सम्पूर्ण जानकारी नीचे दी गई है जो दोष निवारण के लिए जरूरी है।

कालसर्प दोष पूजा-विधि एक विशेष ज्योतिषीय प्रक्रिया है जो उन लोगों के लिए की जाती है जिनकी जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित होते हैं। इस दोष को शांत करने के लिए विशेष पूजा की जाती है, जो विशेष रूप से उज्जैन जैसे धार्मिक स्थलों पर प्रभावी मानी जाती है

उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण पूजा की पूरी विधि

उज्जैन, जिसे महाकाल की नगरी कहा जाता है, में कालसर्प पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है। उज्जैन के योग्य पंडित अतुल अग्निहोत्री जी द्वारा पूजा की विधि बताई गई है जो निम्नलिखित है:

पूजा से पहले की तैयारी

  1. कुंडली विश्लेषण: उज्जैन के अनुभवी ज्योतिषी पंडित अतुल अग्निहोत्री जी से कुंडली की जाँच कराएँ और कालसर्प दोष की पुष्टि करें।
  2. शुभ मुहूर्त चुनें: पूजा के लिए नाग पंचमी, सोमवार, अमावस्या, प्रदोष काल, या शनिवार का दिन उत्तम माना जाता है।
  3. सामग्री एकत्रित करें:
    • चांदी की नाग-नागिन प्रतिमा
    • काले तिल, उड़द, गुड़, काला कपड़ा
    • नारियल, फल, फूल, धूप-दीप
    • रुद्राक्ष माला और कालसर्प यंत्र

कालसर्प पूजा की विधि

 संकल्प (Sankalp)

पूजा की शुरुआत गणेश पूजन और संकल्प से होती है, जिसमें व्यक्ति का नाम, गोत्र और पूजा का उद्देश्य बताया जाता है। पंडित जी को पूजा का उद्देश्य बताएँ और संकल्प लें। उज्जैन के रामघाट या सिद्धवट आश्रम में पूजा शुरू करें।

कलश स्थापना

संकल्प लेने के बाद कलश स्थापना की जाती है। कलश पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। राहु-केतु एवं नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है।

नाग देवता की स्थापना

पूजा में नाग देवता की प्रतिमा स्थापित की जाती है, काले कपड़े पर चांदी की नाग प्रतिमा रखें तथा नाग देवता को हल्दी, कुमकुम, और फूल चढ़ाएँ। इस पूजा में नाग-नागिन की चांदी की मूर्तियों का उपयोग होता है जिन्हें बाद में जल में विसर्जित किया जाता है।

मंत्र जाप

राहु और केतु के मंत्रों का जाप, रुद्राभिषेक, और हवन आदि इस पूजा का हिस्सा होते हैं।

  • महामृत्युंजय मंत्र:
    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
    (108 बार जाप करें)
  • राहु-केतु मंत्र:
    ॐ रां राहवे नमः और ॐ कें केतवे नमः

हवन करते समय काले तिल, गुड़, और घी की आहुति देते हुए राहु-केतु के मंत्रों का उच्चारण करें। 108 आहुतियाँ दें और कालसर्प यंत्र को हवन कुंड में समर्पित करें।

दान

हवन आदि के बाद पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराये। यह पूजा प्रातःकाल करने से इसका विशेष फल प्राप्त होता है और इसे करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, बाधा मुक्ति, और ग्रहों के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है। पूजा के दौरान सात्विक जीवनशैली और संयम बनाए रखना आवश्यक होता है।

पूजा के बाद के नियम

  1. शिप्रा नदी में स्नान: पूजा सामग्री का विसर्जन करें और पवित्र स्नान करें।
  2. 21 दिन तक व्रत: मांसाहार, प्याज-लहसुन, और शराब से परहेज करें।
  3. नियमित मंत्र जाप: रोज़ महामृत्युंजय मंत्र का जाप जारी रखें।

उज्जैन में पूजा के प्रमुख स्थान

  1. सिद्धवैट आश्रम: रुद्राभिषेक के साथ कालसर्प पूजा कराने से विशेष लाभ मिलता है।
  2. अंगारेश्वर: मंगल ग्रह की कृपा से दोष का प्रभाव कम होता है।
  3. रामघाट: नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए यहाँ पूजा कराना उचित होगा।

कालसर्प पूजा का प्रभाव

  • वैवाहिक जीवन में सुधार और विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होंगी।
  • स्वास्थ्य समस्याओं (दुर्घटना, सर्जरी) से मुक्ति प्राप्त होगी।
  • आर्थिक स्थिरता और शत्रु भय समाप्त होगा।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कैसे बुक कराएँ?

उज्जैन में कालसर्प पूजा बुक करने या ज्योतिष सलाह के लिए नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और पंडित जी से संपर्क करें। पंडित अतुल अग्निहोत्री जी उज्जैन के अनुभवी पंडितो में शामिल है पंडित जी को पूजा-अनुष्ठान में 8 वर्षो से अधिक अनुभव प्राप्त है। अपनी पूजा बुक करें और इस दोष से छुटकारा प्राप्त करें।

Similar Posts

Leave a Reply