कुंडली में कालसर्प दोष कितने वर्षों तक रहता है?
वैदिक ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष की अवधि व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु की स्थिति पर निर्भर करती है। कुछ ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यह दोष व्यक्ति के जीवन में लगभग 27 से 54 वर्ष की आयु तक प्रभावी रह सकता है। यदि इस दोष का समय पर निवारण न किया जाए, तो यह व्यक्ति के जीवन में 42 वर्ष की आयु या उसकी मृत्यु तक भी प्रभावी रह सकता है।

कालसर्प दोष एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय योग है, जो व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ और बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है। इस दोष की अवधि मुख्यतः राहु और केतु की कुंडली में स्थिति पर निर्भर करती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि कालसर्प दोष कितने वर्षों तक प्रभावी रहता है और इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
कुंडली में कालसर्प दोष कितने सालों तक रहता है?
कालसर्प दोष, यदि कुंडली में राहु प्रथम भाव में स्थित हो, तो यह दोष 27 वर्ष की आयु तक प्रभावी रहता है; द्वितीय भाव में राहु होने पर 33 वर्ष तक; तृतीय भाव में 36 वर्ष तक; चतुर्थ भाव में 42 वर्ष तक; पंचम भाव में 48 वर्ष तक; और षष्ठ भाव में राहु स्थित होने पर यह दोष 54 वर्ष की आयु तक बना रहता है। इस दोष की अवधि और तीव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है:
1. कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं (जैसे अनंत, कुलिक, वासुकी, आदि)। प्रत्येक का प्रभाव और अवधि अलग होती है। उज्जैन के अनुभवी पंडित अतुल अग्निहोत्री जी ने कालसर्प दोष की अवधि के बारे में निम्नलिखित बाते बताई है:
- अनंत कालसर्प: जीवनभर प्रभावी, लेकिन उम्र के साथ प्रभाव कम होता है।
- तक्षक कालसर्प: 30-35 वर्ष की आयु तक प्रबल रहता है।
- शंखचूड़ कालसर्प: 45-50 वर्ष तक प्रभावी।
2. गोचर और दशा का प्रभाव
- राहु-केतु की दशा/अंतर्दशा (18 वर्ष की आयु के बाद) में दोष का प्रभाव बढ़ जाता है।
- शनि, मंगल या सूर्य की स्थिति भी दोष की अवधि को प्रभावित करती है।
3. उपायों से प्रभाव में कमी
कालसर्प दोष जीवनभर कुंडली में रहता है, लेकिन सही उपायों से इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है जो की निम्नलिखित है:
- कालसर्प शांति पूजा: उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कराने से दोष शांत होता है।
- राहु-केतु मंत्र जाप: “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” और “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः”। मंत्र का नियमित रूप से जाप करें।
- दान: काले तिल, लोहा, या नीले कंबल का दान करना चाहिए।
- रत्न धारण: गोमेद (हेसोनाइट) और लहसुनिया (कैट्स आई) रत्न पहनें।
4. अपवाद स्थितियाँ
- यदि कुंडली में शुभ ग्रह योग (जैसे गजकेसरी योग) हों, तो दोष का प्रभाव नगण्य हो जाता है।
- विवाह के बाद या संतान प्राप्ति के पश्चात कुछ प्रकार के कालसर्प दोष स्वतः शांत हो जाते हैं।
राहु की स्थिति के आधार पर दोष की अवधि:
- प्रथम भाव में राहु: दोष का प्रभाव 27 वर्ष की आयु तक रहता है।
- द्वितीय भाव में राहु: 33 वर्ष की आयु तक।
- तृतीय भाव में राहु: 36 वर्ष की आयु तक।
- चतुर्थ भाव में राहु: 42 वर्ष की आयु तक।
- पंचम भाव में राहु: 48 वर्ष की आयु तक।
- षष्ठ भाव में राहु: 54 वर्ष की आयु तक।
कालसर्प दोष के निवारण के उपाय
इस दोष के प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- कालसर्प दोष निवारण पूजा: विशेषज्ञ और अनुभवी पंडितों द्वारा निर्धारित विधि से यह पूजा करवाई जाती है, जो दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक होती है।
- मंत्र जाप: राहु और केतु से संबंधित मंत्रों का नियमित जाप करना लाभदायक सिद्ध होता है।
- रुद्राभिषेक: भगवान शिव की विशेष पूजा, जिसे रुद्राभिषेक कहते हैं, करना चाहिए।
- दान-पुण्य: जरूरतमंदों को तिल, काले वस्त्र, लोहे की वस्तुएँ आदि दान करना शुभ माना जाता है।
- नाग पंचमी पर पूजा: नाग पंचमी के दिन सर्पों की पूजा करना और उन्हें दूध अर्पित करना सबसे प्रभावी उपाय है। इससे नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है।
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कैसे बुक करें?
कालसर्प दोष के उपाय करने पर इसके नुकसान को 70-80% तक कम किया जा सकता है। सटीक अवधि जानने के लिए कुंडली का विश्लेषण करवाएँ और किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लें। उज्जैन के अनुभवी पंडित अतुल अग्निहोत्री जी से नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करें और अपनी पूजा बुक करें।