कालसर्प दोष पूजा-सामग्री: पूजा महत्व और बुकिंग की पूरी जानकारी
काल सर्प दोष एक गंभीर ज्योतिषीय योग है जो जन्म कुंडली में राहु-केतु की अशुभ स्थिति के कारण बनता है। इस दोष के निवारण के लिए काल सर्प पूजा कराना अत्यंत प्रभावी माना जाता है। उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कराना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इस पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री (पूजा सामग्री) का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं काल सर्प पूजा के लिए कौन-सी समग्रियाँ जरूरी हैं और उनका क्या महत्व है?
कालसर्प पूजा में कौन-कौन सी समग्रियाँ उपयोगी है?
कालसर्प दोष निवारण पूजा में उपयोग होने वाली पूजा सामग्री का चयन वैदिक परंपरा और जोतिषीय नियमों के अनुसार किया जाता है ताकि पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो सके। पूजा संबन्धित मुख्य सामग्रीयां निम्नलिखित दी गई है:
1. प्रतिमाएं और चित्र
- सोने/चांदी की नाग प्रतिमा: राहु-केतु और नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए।
- शिव-पार्वती चित्र/मूर्ति: काल सर्प दोष निवारण में शिवजी की कृपा आवश्यक है।
- काल सर्प यंत्र: पूजा स्थल पर स्थापित करने हेतु।
2. पूजा सामग्री
- काला तिल: राहु-केतु की शांति के लिए हवन में प्रयुक्त।
- सरसों का तेल: दीपक जलाने के लिए।
- लाल/काला कपड़ा: नाग देवता को चढ़ाने के लिए।
- नारियल: शुभता और समृद्धि का प्रतीक।
- दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल: शिवलिंग अभिषेक हेतु (पंचामृत)।
3. फूल और पत्तियां
- धतूरा के फूल: भगवान शिव को अत्यंत प्रिय।
- बेलपत्र: शिव पूजा का मुख्य अंग।
- आक/मदार के फूल: नाग देवता को समर्पित।
4. हवन सामग्री
- गुग्गल: शुद्ध घी के साथ हवन में डाला जाता है।
- कपूर: शुद्धता और पवित्रता के लिए।
- जौ, चावल, गुड़: हवन की आहुति के लिए।
5. अन्य आवश्यक वस्तुएं
- रुद्राक्ष माला: मंत्र जाप के लिए।
- काला उड़द: दान के रूप में उपयोग।
- चांदी के सिक्के: पूजा के बाद दान किए जाते हैं।
कालसर्प पूजा-सामग्री का महत्व क्या है?
कालसर्प दोष निवारण पूजा में उपयोग की जाने वाली पूजा सामग्री का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। कालसर्प दोष पूजा में प्रमुख रूप से काला तिल, नाग-नागिन का जोड़ा (चांदी की), पंचामृत, कुशा, काले वस्त्र, बिल्व पत्र, दूध, गंगाजल, धतूरा, भस्म, नींबू, सुपारी, नारियल, रुद्राक्ष, फूल-माला, आदि सामग्री का प्रयोग होता है।
चांदी की नाग-नागिन जोड़ी कालसर्प दोष के प्रतीक के रूप में प्रयोग होती है और पूजा के बाद नदी में विसर्जित की जाती है। काला तिल, पितृ दोष और अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए अर्पित किया जाता है। पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक कर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि की जाती है। भस्म और बिल्वपत्र भगवान शिव को प्रिय हैं और इनसे शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- नाग प्रतिमा: राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करती है।
- काला तिल: पितृ दोष और काल सर्प दोष दूर करता है।
- धतूरा फूल: शिव की कृपा प्राप्ति में सहायक।
- रुद्राक्ष माला: मंत्रों की शक्ति बढ़ाती है।
इन सभी सामग्रियों का संयोजन पूजा को पूर्णता देता है और नाग दोष, पितृ दोष तथा ग्रहबाधा जैसे प्रभावों के शमन में सहायक होता है। इसलिए कालसर्प दोष निवारण पूजा की सामग्री को शुद्धता और विधिपूर्वक अर्पित करना अत्यंत आवश्यक माना गया है।
कालसर्प दोष की विधि
- संकल्प: पंडित जी द्वारा पूजा का उद्देश्य बताया जाता है।
- शिव अभिषेक: पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक।
- नाग पूजा: काले कपड़े पर नाग प्रतिमा की स्थापना।
- हवन: काले तिल, गुड़, और गुग्गल की आहुति।
- दान: चांदी, काला उड़द, या अनाज दान करें।
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कैसे बुक करें?
उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा बुक करने के लिए सबसे पहले उज्जैन के योग्य और श्रेष्ठ पंडित के बारे में जानकारी प्राप्त करें। पूरे विधि-विधान से की गई पूजा विशेष फलदायी और लाभकारी होती है। इसलिए पूजा के लिए पंडित की योग्यता सबसे जरूरी है। पंडित अतुल अग्निहोत्री जी उज्जैन के श्रेष्ठ पंडितो में आते है पंडित जी को दोष निवारण में 8 वर्षो से अधिक योग्यता प्राप्त है।
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