कालसर्प दोष पूजा कब होती है?

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कब करनी चाहिए? जाने सही समय और पूजा खर्च

उज्जैन, जिसे महाकाल की नगरी कहा जाता है, कालसर्प दोष पूजा के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। लेकिन इस पूजा का पूरा लाभ पाने के लिए सही समय और शुभ मुहूर्त का चुनाव करना बहुत जरूरी है। पंडित अतुल अग्निहोत्री जी, जो 8+ वर्षों से उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा करवा रहे हैं, उनके अनुसार निम्नलिखित समय और तिथियाँ इस पूजा के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं।

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा का आयोजन वर्ष भर किया जाता है, लेकिन कुछ विशेष मुहूर्त और तिथियों में इस पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या, नाग पंचमी, प्रदोष, सोमवार और मंगलवार के दिन कालसर्प दोष पूजा करवाना सर्वाधिक शुभ माना जाता है।

कालसर्प दोष पूजा

2025 में कालसर्प दोष पूजा के लिए शुभ मुहूर्त कौन-कौन से है?

उज्जैन में पंडित अतुल अग्निहोत्री जी द्वारा विभिन्न प्रकार से शुभ मुहूर्त और तिथि का निर्धारण करके यह पूजा करायी जाती है, जो की इस प्रकार है:

1. विशेष तिथियाँ और त्योहार

  • अमावस्या: हर महीने की अमावस्या कालसर्प दोष निवारण के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन कालसर्प दोष निवारण पूजा कराने से दोष से मुक्ति मिलती है।
  • नाग पंचमी: श्रावण मास की नाग पंचमी (जुलाई-अगस्त) इस पूजा के लिए सबसे शक्तिशाली दिन है। कालसर्प दोष पूजा के लिए नागपंचमी का दिन बहुत ही प्रभावी माना जाता है, क्योंकि इस दिन साँपो की पूजा की जाती है जो की दोष निवारण के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
  • महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि के अवसर पर भी कालसर्प दोष पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है, क्योंकि इस दिन शिव की उपासना का विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन शिव की आराधना करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है।
  • प्रदोष व्रत: हर महीने की त्रयोदशी (प्रदोष) को पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। कालसर्प दोष पूजा उज्जैन में इस दिन करने से दोष से शांति प्राप्त होती है।

2. विशेष माह

  • सावन माह (जुलाई-अगस्त): सावन का महिना सबसे पावन होता है, क्योंकि यह भगवान शिव का माह माना जाता है। इस महीने मे पूजा कराने से भगवान शंकर प्रसन्न होते है और आशीर्वाद प्रदान करते है। भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • श्राद्ध पक्ष (सितंबर-अक्टूबर): श्राद्ध पक्ष (सितंबर-अक्टूबर) में इस पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इन समयावधियों में पितृ दोष और कालसर्प दोष का प्रभाव अधिक प्रबल होता है। पितृ दोष और कालसर्प दोष की शांति के लिए उत्तम समय है।

3. शुभ दिन

  • सोमवार: सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है, जो कालसर्प दोष शांति के लिए सर्वोत्तम है। इस दिन पूजा करना अत्यंत शुभ होता है।
  • मंगलवार: हनुमान जी और भैरव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उत्तम दिन।  मंगलवार के दिन कालसर्प दोष पूजा करवाना सर्वाधिक शुभ माना जाता है।

4. ग्रहों की स्थिति

  • राहु-केतु गोचर काल:  पंडित अतुल अग्निहोत्री जी के अनुसार, राहु-केतु के गोचर के समय भी यह पूजा विशेष रूप से प्रभावी होती है, क्योंकि इस समय दोष का प्रभाव अधिक सक्रिय होता है। जब राहु या केतु कुंडली में प्रभावी होते हैं, तब पूजा करवाना विशेष लाभकारी और फलदायक होता है।
  • ग्रहण काल: सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय पूजा करने से दोष का प्रभाव कम होता है।
  • सूर्य ग्रहण: 29 मार्च 2025 (सूर्य ग्रहण)
  • चंद्र ग्रहण: 21 फरवरी 2025

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा का आयोजन कब और कैसे किया जाता है?

पंडित अतुल अग्निहोत्री जी प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली देखकर व्यक्तिगत शुभ मुहूर्त बताते हैं। कुछ प्रमुख तिथियाँ निम्न हैं:

  • 28 जुलाई 2025 (नाग पंचमी)
  • 21 सितंबर 2025 रविवार (हरियाली अमावस्या)
  •  31 अक्टूबर 2025 शुक्रवार (देव उठनी एकादशी)
  • 26 फरवरी 2025 बुधवार (महाशिवरात्रि)

उज्जैन में कालसर्प दोष निवारण के लिए कौन-कौन से उपाय किए जाते है?

  • महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में रुद्राभिषेक करवाएं विशेषकर सोमवार के दिन।
  • नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन की पूजा करें।
  • महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप करें (ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…)।
  • कालसर्प यंत्र की विधिवत स्थापना करें।
  • काले तिल, उड़द की दाल या लोहे की वस्तु दान करें

उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा कैसे कराएं?

कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन में कराना एक प्रभावी उपाय है। उज्जैन के अनुभवी पंडित अतुल अग्निहोत्री जी के मार्गदर्शन में विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और शांति प्राप्त होती है। यदि आप भी अपने जीवन को सुखमय बनाना चाहते है तो आज ही नीचे दिये गए नंबर पर कॉल करे और शीघ्र ही अपनी पूजा बुक करे।

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